रविवार, 29 जुलाई 2012

सीता की पीड़ा


तुम सीता की पीड़ा क्या जानो
तुम राम नाम में डूबे हो
घर  छोड़ पती के संग चली
हर वनवास खुशी से सहती वो
डिगा  पिनाका बनी सबल
फिर घरों में घुटती क्यों 
सिद्ध नेक अग्नि परीक्षा कर
क्यों  ससुराल में जलती वो
दुर्गा बन असुर संघार किया
गर सडको पर तिल तिल  मरती वो
तू प्रीति प्रेम का ढोंग न कर
बिन  मेरे क्या जीवन पायेगा 
जब तेरे राम ही  दोषी हैं
तू कौन शरण में जाएगा
तुम सीता की पीड़ा क्या जानो
तुम राम नाम में डूबे हो


द्वारा
स्नील शेखर

11 टिप्‍पणियां:

Maheshwari kaneri ने कहा…

सच कहा ..आर्थक रचना..बहुत सुन्दर..

Amrita Tanmay ने कहा…

गहन रचना..

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

क्या कहूँ......
महसूस कर रही हूँ पीड़ा को....
उत्कृष्ट रचना..

अनु

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत गहरे भाव से सीता के दर्द को व्यक्त किया है..
उत्कृष्ट भाव लिए रचना...

Sniel Shekhar ने कहा…

प्रोत्साहन के लिए आप सभी का धन्यवाद

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…





प्रिय बंधुवर स्नील शेखर जी
सस्नेहाभिवादन !

नेट-भ्रमण करते शायद पहली बार आपके यहां पहुंचा हूं … अच्छा लगा ।
सुंदर ब्लॉग … रचनाएं भी अच्छी है …

भावनाओं की अच्छी अभिव्यक्ति है प्रस्तुत रचना में भी … लेकिन , भावों की तारतम्यता कुछ नहीं जमी
इस प्रकार की एक कविता पर हमारे एक वरिष्ठ रचनाकार ने सीता को राम से अलग देखने को ही अनुचित माना था और राम को दोषी कहने को मतिभ्रम !

आशा है, बात को सकारात्मक ही लेंगे …

मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार

Sniel Shekhar ने कहा…

आपकी रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिए धनयवाद
परन्तु मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ
हमारे पुरुष प्रधान समाज की सबसे बड़ी समस्या है की हम पुरुष को स्त्री के अस्तित्व का पूरक मानते हैं, परन्तु मेरा मानना है की स्त्री स्वयं में एक शक्तिशाली अस्तित्व है सीता को राम से सदैव जोड़ना मेरे विचार मैं उचित नहीं है. और, राम दोषी हैं या नहीं यह एक सापेक्ष और व्यक्तिगत विचार है.. जिस प्रकार से हमारे वरिष्ठ रचनाकार इसको मतिभ्रम मानते हैं उसी प्रकार से मैं इसको आधुनिकतम और आक्रामक सोच. परन्तु मैं आपकी टिपण्णी का आभारी हूँ,आपकी रचनाएँ पढ़ी, अच्छा लगा.. लिखते रहें.. आपके ब्लॉग पर शीघ्र आऊंगा.. धन्यवाद्

स्नील शेखर

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत गहन भाव संजोये सुन्दर प्रस्तुति..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत ही गहन मर्मस्पर्शी

रश्मि प्रभा... ने कहा…

http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_12.html

सदा ने कहा…

गहन भाव लिए मन को छूती पोस्‍ट