बगल में छुपा कर सपनो की पुडिया
मंजिल नहीं मिलती
रुपयों की दूकान पर सासों को गिरवी रख
जिंदगी नहीं मिलती
प्रेमी चातक के गगन घूरने से
प्रेम की बारिश नहीं होती
बहा आखों से गर्म नमकीन पानी हिमालय के सिने की
बर्फ नहीं पिघलती
नींद भरी आँखों से तारे गिन
काली रात नहीं ढलती
गंगाधर विश्राम कर मानव
मुक्ति नहीं मिलती
इमारतें हसीं नहीं बनती
काली जबाँ अजाँ पढने से
उसकी रहमत नहीं मिलती
द्वारा स्नील
4 टिप्पणियां:
बगल में छुपा कर सपनो की पुडिया
मंजिल नहीं मिलती
रुपयों की दूकान पर सासों को गिरवी रख
जिंदगी नहीं मिलती
bahut sundar...
वाह..
गिरा रंग की पपड़ियाँ
इमारतें हसीं नहीं बनती
काली जबाँ अजाँ पढने से
उसकी रहमत नहीं मिलती
सुन्दर...
अनु
बेहद खुबसूरत ...
सभी का धन्यवाद
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