तुम सीता की पीड़ा क्या जानो
तुम राम नाम में डूबे हो
घर छोड़ पती के संग चली
हर वनवास खुशी से सहती वो
डिगा पिनाका बनी सबल
फिर घरों में घुटती क्यों
सिद्ध नेक अग्नि परीक्षा कर
क्यों ससुराल में जलती वो
दुर्गा बन असुर संघार किया
गर सडको पर तिल तिल मरती वो
तू प्रीति प्रेम का ढोंग न कर
बिन मेरे क्या जीवन पायेगा
जब तेरे राम ही दोषी हैं
तू कौन शरण में जाएगा
तुम सीता की पीड़ा क्या जानो
तुम राम नाम में डूबे हो
द्वारा
स्नील शेखर